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धरती मां की पुकार

Updated: Nov 3, 2021

आज जब इस छोटे से जग पर इतनी अधिक मात्रा में मनुष्यों ने निवास कर लिया है, यह सोचना बहुत ज़रूरी है की हम इस बूढी हो रही धरती को किस तरह से प्रभावित कर रहें हैं। यह समझना बेहद्द ज़रूरी है की हमने औद्योगीकरणड से मानव-जाती मैं विकास लाया है, परन्तु धरती को बोहोत कष्ट एवं हानि पोहोचाई है, न केवल हमने खुदके लाभ के लिए मूर्खतापूर्ण कार्य किये हैं , हमने इससे धरती के साथ ही साथ अन्य कई जानवरो को भी विपत्ति के रस्ते पर डाल दिया है। हम अपने आराम के लिए आज बुनियादी संसाधनों का बिना सोचे प्रयोग ले रहे हैं, यानी हम हर दिन अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहें हैं! इतनी विशाल आबादी के साथ आज की तेज़ी से बढ़ती हुई जन-संख्या हमारे अंत की एक भयानक चेतावनी है।

इस तेज़ बढ़ाव का एक बहुत बड़ा कारण आधुनिक अनुसंधान एवं ‘इलेक्ट्रॉनिक्स’ है, जिसने लोगो को बेहतर स्वास्थय सेवा प्रदान करी है, जिससे मृत्यु अनुपात कम और जनसँख्या बहुत ज़्यादा हो गयी है।पहली बार सुनने पर यह बात शायद एक भेट जेस्सी लग सकती है परन्तु यह एक श्राप से कम नहीं।आज, इस अत्यधिक आबादी के कारण कई चिंता प्रकट करने वाली समस्याएँ खड़ी होती हैं जेसे की पर्यायवरणी दुर्दशा, संग्राम, संसाधनों का रिक्तीकरण और सबसे भयानक, मानव जाती का विलुप्त होना। आज भले ही ये समस्या बहुत बड़ी बन गयी है, हम इससे कई पूर्वावधान ले सकते हैं। शिक्षा इस समस्या का सबसे बड़ा हल है, यदि हम जनता को इस प्रसंग से ज्ञात कराये ताकि बड़े संतति-निग्रह की जानकारी रख सकते हैं एवं बच्चो को बाल विवाह जेसे कार्य करने से रोका जा सकता है तो हमारा बहुत लाभ होगा।आज की युवा का यह कर्त्तव्य है की वह इन कठिन समस्याओं का सामना करना सीखे और इस जानकारी को ढंग से बाटें। हमारे पर्यायवरन, मनुष्य एवं धरती को बचाना आज एक कर्तव्य के साथ ही साथ एक ज़रूरत भी बन गयी है।

-Sidhant Abani





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